विटामिन विटामिन कार्बनिक तत्व होते हैं जो कि हमारे शरीर के लिए जरूरी होते हैं विटामिन हमारे निर्माण में बहुत मदद करते हैं हमारे शरीर के सभी क्रियाओं को पूरा करते हैं मदद करते हैं विटामिन शरीर के चयापचय क्रिया को पूरा करने में मदद करते हैं विटामिन शरीर के चयापचय क्रिया को पूरा करने में मदद करते हैं विटामिन की पर्याप्त मात्रा में नहीं बनते तो संश्लेषण नहीं होता इसलिए इनको खाने में शामिल करना होता है शरीर विटामिन नहीं बनाता हमको खाने में ही लेना होता है विटामिन की कमी से तमाम तरह के रोग हो जाते हैं इसलिए हमारे खाने में प्रोटीन का रोल बसा लवण साथ में विटामिन का होना बहुत जरूरी है
विटामिन हमारे लिए निम्न प्रकार से उपयोगी होते हैं
विटामिन युक्त खाना से व्यक्ति स्वस्थ और निरोगी रहता है विटामिन की कमी से बीमारियां घेरने लगती
विटामिन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
विटामिन की कमी से व्यक्ति दुर्बल हो जाता है
विटामिन की कमी से नींद नहीं आती है
विटामिन लेने से भूख बढ़ती है चुस्त-दुरुस्त रहते
विटामिन के नामकरण
विटामिन की की खोज सन 1912 में हुई इसका श्रेय पंख जो खोज की विटामिन के वैज्ञानिक हैं जिन्होंने खाने के पदार्थ में इस तत्व को नाम विटामिन का दिया और जैसे-जैसे अलग-अलग विटामिन की खोज हुई वैसे वैसे उनका रासायनिक संगठन हमको ज्ञात होता गया तथा इसको संज्ञा दी गई ए बी सी डी के नाम रसायनिक संगठन के अनुसार दिया गया विटामिन को रोक के अनुरूप काम करते देखा गया इसी तरह का उसे नाम भी दिया गया विटामिन की उपयोगिता को प्रभावित करने वाले कारक तमाम तरह के विटामिन खाने में इस तरह के पाए जाते हैं जिनका अभी शोषण नहीं होता जैसे अनाज में निकोटिन अम्ल पाए जाते हैं जो कि फाइटिंग के कारण निष्क्रिय होने के बाद में वसा में घुलनशील विटामिन पाचन के बाद ही अवशोषित होते हैं विटामिन खाने के पदार्थों में कमी खाने में विटामिन से मिलते जुलते एंटीविटामिन भी पाए जाते हैं विटामिन में विशेषण के साथ एंटीविटामिन खाने में एंजाइम की क्रिया को पूरा करते हैं इसी कारण विटामिन शरीर को नहीं मिल पाते एंटीविटामिन के अनिष्ट भी कहा जाता है जैसे एमिनो यूरिन एक्सपायरी डेट
प्रोविटामिन का मिलना का मिलना या पाया जाना
कई खानों के पदार्थ में विटामिन स्वयं के रूप में नहीं होते प्रोविटामिन के रूप में मिलते हैं जो किया होने पर विटामिन में बदल जाते हैं जैसे कैरोटीन का विटामिन ए में बदलना की ट्रॉफी इनका नाइसिन में बदलना है
आंतों में विटामिन का निर्माण होना
छोटी आत में पाए जाने वाले कुछ बैक्टीरिया विटामिन का निर्माण करते हैं जिनको हम विटामिन b1 b2 b12 के नाम से जानते हैं और निकोटीनिक एसिड की क्रिया कैसे विटामिनों की बहुत कम प्राप्ति होती है बीमारी के समय यह छोटी आत में इस तरह का कार्य करते हुए यह होते हुए देखा गया है खाने के अलग-अलग समूह होते हैं खाने के पदार्थ में सभी तरह के विटामिन पाए जाते हैं यदि हर व्यक्ति इसका नियमित और सही मात्रा से इस्तेमाल करता है तो उसे बाहर से या अतिरिक्त विटामिन लेने की जरूरत नहीं होती हैं विटामिन को मापने की इकाई शुरू में बसा में घुलने वाली विटामिन कामा इंटरनेशनल यूनिट से किया जाता था पानी में खुलने वाली विटामिन को मिलीग्राम से मापा जाता है लेकिन आजकल तो सभी विटामिनों को माइक्रो मिलीग्राम में मापा जाता है और 1 मिलीग्राम में 1000 मई को एग्जाम बराबर 40,000 इंटरनेशनल यूनिट और 1 माइक्रोग्राम में 440 इंटरनेशनल यूनिट होते हैं विटामिन को भागों में बांटना इसे दो भागों में बांटा गया
बसा में भूलने वाले विटामिन ए डी के
पानी में घुलने वाले विटामिन बी सी और पी
बसा में घुलने वाले विटामिन बसी ए घोल में घुलने मिल जा ते हैं
यह शरीर से निकलते नही बल्कि संग्रहीत होते रहते t
ज्यादा होने पर शरीर में जमा रहते हैं विटामिन की कमी का पता बहुत धीरे धीरे चलता है
इसमें कार्बन ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के अंग पए जाते हैं
इनका अवशोषण लस्का में होता है
रोज के खाने में विटामिन को होना जरूरी नहीं है हमको हमारे शरीर में सब्जियों से मिल जाते हैं
विटामिन ए
विटामिन ए का प्रयोग चूहों में किया गया सन् 1913 में और उनकी ग्रोथ के लिए अंडे की जर्दी मक्खन में उपस्थित एक तत्व का नाम विटामिन ए दिया और यह भी बताया कि यह आंखों की बीमारी त्वचा रोग मक्खन और मछली के यकृत के इस्तेमाल से हो जाते हैं एक दूसरे वैज्ञानिक ने बताया कि पेड़ पौधों और सब्जियों में पाए जाने वाले विशेष तरह के केरोटिन शरीर में जाकर पाचन के बाद विटामिन में बदल जाते हैं इसे इसीलिए इसे विटामिन ए कहते हैं
खूबियां
यह एक पीला हल्के रंग रेशेदार योगिक जो कार्बन हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में मिश्रण से बनता है कैरोटीन पौधों करो 10 पौधों में संश्लेषित गहरे लाल रंग का होता है और या तीन प्रकार के होते हैं
बसा में मैं भूलने वाला तथा पानी में नहीं भूलता
समान ताप में या खराब नहीं होता हवा की उपस्थित एवं सूर्य की रोशनी में ऑक्सीकरण होने के कारण काफी मात्रा में खराब हो जाता है
विटामिन ए प्राणियों के खाद्य पदार्थों में तथा कैरोटीन खाने के पदार्थों में पाये जाते है
विटामिन ए कितने प्रकार के होते हैं
विटामिन कई तरह के खाने में एक से अधिक तरह के पाए जाते हैं इसे विटामिन ए का मिश्रण कहा जाता हैं
या 4 तरह के होते हैं इनका कार्य भी अलग-अलग होते हैं
जैसे विटामिन रेटीनल
ये केवल प्राणी खाने के पदार्थों में पाए जाते हैं जैसे दूध मक्खन लीवर गुर्दे में पाया जाता है और हरी पीली सब्जियों में भी पाया जाता है गाजर पपीता पालक इतिहास में beta-carotene के शक्ल में पाया जाता है विटामिन ए तथा कैरोटीन में समानता का कोई असर नहीं होता है
विटामिन ए टू
ताजे पानी में पाए जाने वाली मछलियों के लिवर में पाया जाता है
विटामिन ए एल्डिहाइड
या केवल आंखों के रेटिना के राइट कौन में पाया जाता है या कम रोशनी में देखने के काम में उपयोग किया जाता है
विटामिन ए वन एसिड
या खारे पानी में पाए जाने वाली मछलियों में मैं पाया जाता है शरीर में बनता है और शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है
रक्त में मात्रा
हमारे रक्त में विटामिन ए की मात्रा
हमारे दांत में विटामिन ए की मात्रा 1930 इंटरनेशनल यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर रहती है और या गर्भवती महिला आखिरी 3 महीने में 30 प्लस कम हो जाती है और नवजात शिशु में यदि सूखा संक्रमण हो जाता है तो या और कम हो जाती है
रखरखाव
लीवर में 90 परसेंट विटामिन ए संग्रहित होता है और यह 3 माह तक के लिए हो जाती है और कुछ मात्रा में विटामिन ए गुर्दे फेफड़े और बसी ऊतकों में भी रहती है एक जवान व्यक्ति के लिवर में लगभग एक लाख यूनिट होती है और यह बढ़ती रहती है
आंखों की सामान रोशनी
आंखों की अच्छी रोशनी बरकरार रखने के लिए विटामिन ए बहुत ही जरूरी होता है कम रोशनी में भी आपके देखने की ताकत रहती है रेटिना में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं जो रंग प्रदान करने का कार्य करती हैं इनमें आपसे नामक प्रोटीन होता है
कोमल त्वचा
विटामिन ए रेट इन एसिड एवं म्यूकस राव में उत्साहित करता है मैं उससे मुंह छोटी आंतों की अंदर आंख स्वसन आम यूरियन यूरिन मार्ग आदि जगहों की झिल्ली में कमी रहती है जिससे त्वचा कोमल चमकदार बनी रहती है और विटामिन ए के कारण बैक्टीरिया की रहने की संभावना नहीं होती
विटामिन ए एपीठेलियल कोशिकाओं के स्वस्थ कोशिकाओं को स्वस्थ बनाए रखते हैं
विटामिन ए एपिथेलियल कोशिकाओं को मजबूत बनाने में मदद करते हैं मानव शरीर में सभी भी थे रियल कोशिकाओं की एक परत बनी रह
जैसे
गला ना त्वचा श्वास नली पाचन अंग एवं आंतरिक कोमलता रहने में विटामिन ए का महत्वपूर्ण रोल होता है
हड्डियों एवं दांतो की वृद्धि तथा मजबूती
विटामिन ए दातों हड्डियों के बढ़ने में एवं मजबूत बनाने में मदद करते हैं बाल्यावस्था में खाने में विटामिन ए युक्त खाना खाने से मजबूती रहती है और मसूड़ों की भी मजबूती रहती है
नर्वस सिस्टम
नर्वस सिस्टम के लिए विटामिन ए बहुत जरूरी है विटामिन ए की कमी से नर्वस सिस्टम खराब होने लगता है
विटामिन ए प्रजनन अंगों को स्वस्थ रखता है
विटामिन ए शरीर में पर्याप्त होने पर प्रजनन अंग स्वस्थ रहते हैं और यौन हार्मोन का रखरखाव बराबर बना रहता है विटामिन ए समान प्रजनन के लिए मानव को जरूरी होता है इसकी कमी से स्थिति स्त्री परुष दोनों ही प्रजनन क्षमता नहीं होती और यह प्रोटीन के लिए भी जरूरी है विटामिन ए के कारण प्रोटीन की उचित मात्रा शरीर में क्रियाशीलता को भी प्रभावित कर
ब्लू को प्रोटीन में भी विटामिन ए मुख्य भूमिका निभाती है तथा इसकी कमी से पथरी लीवर में में में हो जाते हैं
विटामिन ए की कमी से क्या-क प्रभाव
आपके म्यूकस बनना बंद हो जाता है लैसमार्क झिल्ली काम नहीं करती लार ग्रंथियां आंख से आंसू ग्रंथियों स्वसन नालयों नदियों की मुलायम मुलायम का समाप्त हो जाती है और इन अंगों की कार्य करने की शक्ति में कमी आ जाती है और इन अंगों का विकास बंद हो जाता है
विटामिन ए की कमी से पुरुषों की ज्ञानेंद्रियों पर प्रभाव पड़ता है तथा शुक्राणु बनने कम हो जाते हैं
विटामिन ए की कमी से गुर्दों में पथरी बनने लगती है और पेशाब आने में परेशानी होती है
विटामिन ए की कमी से दस्त आने लगते हैं तथा बहरेपन होने की संभावना बढ़ती है
विटामिन ए की कमी से रतौंधी रोग हो जाता है जिससे कार्निया सूख जाती है और पारदर्शिता समाप्त हो जाती है जिसे सिरोसिस का नियम भी कहते हैं
विटामिन ए की कमी से आंख के अंदरूनी भाग की झिल्ली की पर सफेद हो जाती है भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं जिसके कारण कार्निया की में दाने निकलने लगते हैं और पस पड़ जाता है और आपस में चिपकने लगता है हम इसे बीटा धब्बों के नाम से जानते हैं
विटामिन ए की अधिकता के का प्रभाव होते हैं
विटामिन ए की अधिकता शरीर पर बहुत ही हानिकारक असर पड़ता है वह 5000 से 2,000 आईवी प्रति किलोग्राम शरीर के वजन से 6 से 15 माह तक रोज लेता है तो उसे विटामिन ए के अधिक होने के लक्षण नजर आने लगते हैं जैसे भूख न लगना सिर में दर्द होना गुस्सा चिड़चिड़ापन खुरदरी त्वचा खुजली पैरों की हड्डियों में सूजन आना लीवर और तिल्ली का बढ़ना खून से सिरम से विटामिन ए की मात्रा का बढ़ना सांस लेने में तकलीफ होना बालों का झड़ना जोड़ों में दर्द होना फोटो में छाले आदि हो जाते हैं
विटामिन ए पकाने में तापमान का क्या प्रभा
विटामिन के पदार्थ पकाने में खराब नहीं होते मक्खन तेल में 100 से ऊपर टॉप में खराब होते हैं और फलों में विटामिन सूर्य के प्रकाश से खराब हो जाते हैं और डिब्बे में कैरोटीन सही बना रहता है मछली के आयल को बोतलों में खुला रखने पर विटामिन ए 3 ऑल खराब हो जाता है तथा उसमें उसे वसायुक्त बदबू आने लगती है उसका विटामिन ए खराब हो जाता है
विटामिन ए कहां-कहां से पा सकते हैं
विटामिन ए मछली के लिवर में बहुत अधिक मात्रा में होता है पर इसके तेल खाने के पदार्थ पकाने में इस्तेमाल नहीं किया जाता विटामिन ए अच्छी श्रेणी के साधन मक्खन हरा धनिया अरबी के पत्ते आम पालक गाजर पपीता आदमी अधिक मात्रा में विटामिन मिलता है दूध और मक्खन में विटामिन ए रेटीना में पाया जाता है रोजाना कितना लेना चाहिए विटामिन ए आयु के हिसाब से लेना चाहिए व्यक्ति की अवस्था क्या है उसी हिसाब से लेना चाहिए वैसे सामान्यता समान व्यक्ति को 750 माइक्रोग्राम विटामिन ए या 3000 माइक्रोग्राम कैरोटीन रोजाना लेना चाहिए थैंक यू